विकास के छोटे प्रोजेक्ट को आसानी से मिलेगी मंजूरी विकास के छोटे प्रोजेक्ट को आसानी से मिलेगी मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर
प्रदेश में ऑरेंज कैटेगरी के नए प्रोजेक्ट, उद्योग, निर्माणाधीन सड़कों, खदानों से उपखनिज का चुगान और विभिन्न प्रकार के विनिर्माण कार्यों को शुरू करने से पहले पर्यावरणीय मंजूरी के लिए अब दिल्ली की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। शासन ने राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) और राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (एसईएसी) का गठन कर दिया है। अब ये सारी मंजूरी राज्य स्तरीय प्राधिकरण व समिति के माध्यम से मिल सकेंगी।
राज्य में विकास से संबंधित परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए दोनों महत्वपूर्ण संस्थाओं में बीते 11 माह से अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। राज्य की ओर से इससे संबंधित फाइल दो बार केंद्र को भेजी गई, लेकिन दोनों ही बार फाइल लौटा दी गई। इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से चार अक्तूबर को अधिसूचना जारी की गई थी।
इसके तहत राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) के अध्यक्ष पद का दायित्व भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अमूल्य रतन सिन्हा को सौंपा गया है। इसके अलावा विश्व प्रौद्योगिकी संस्थान, गड़गांव हरियाणा के निदेशक व सह प्राचार्य डॉ. चंद्र भूषण प्रसाद को सदस्य एवं राज्य पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन निदेशायल, उत्तराखंड के निदेशक को सदस्य सचिव बनाया गया है। राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (एसईएसी) में शैलेंद्र सिंह बिष्ट को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि डॉ. अश्विनी कुमार मिनोचा, डॉ. आशुतोष गौतम और डॉ. वासुदेव प्रसाद पुरोहित को सदस्य बनाया गया है। राज्य पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक को सदस्य सचिव बनाया गया है।