उत्तराखंड की नई राजस्व संहिता के निर्माण में हो सकती है देरी
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई सचिव समिति की बैठक में इस ड्राफ्ट पर चर्चा की जा चुकी है। इसके बाद इसमें राज्य की नई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर संशोधन पर बल दिया गया। इस बीच, वर्तमान भू-कानून के अध्ययन एवं परीक्षण को गठित उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
साथ ही धामी सरकार अगले बजट सत्र में वर्तमान भू-कानून में संशोधन कर नया भू-कानून लाने का मन बना चुकी है। अगले वर्ष तक संशोधित भू-कानून अस्तित्व में आ सकता है। राजस्व संहिता में संशोधित कानून को सम्मिलित किया जाएगा। राजस्व संहिता को अगले 50 वर्षों की राज्य की आवश्यकता को देखते हुए तैयार किया जा रहा है।
नई राजस्व संहिता के माध्यम से प्रदेश के समस्त भू-कानूनों के बारे में एक ही स्थान पर समुचित जानकारी उपलब्ध रहेगी। राजस्व संहिता बनाने के लिए गठित ड्राफ्टिंग कमेटी को नया कानून अस्तित्व में आने के बाद नए सिरे से ड्राफ्ट तैयार करना होगा।
अपर सचिव राजस्व आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि राजस्व संहिता का निर्माण राजस्व परिषद कर रहा है। संशोधित भू-कानून क्रियान्वित होने के बाद ही राजस्व संहिता को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।
भू-कानून पर 16 दिसंबर तक शासन को भेजने होंगे सभी सुझाव
उत्तराखंड में नया भू-कानून बनाने के लिए किसानों, बुद्धिजीवियों, पक्षकारों एवं हितधारकों से सुझाव लेकर शासन को भेजने की डेडलाइन तय कर दी गई है। राज्य के समस्त परगनों के सहायक कलेक्टर वर्तमान भू-कानून में आवश्यक संशोधन से संबंधित महत्वपूर्ण सुझावों को लिपिबद्ध करेंगे।
जिलाधिकारियों के माध्यम से इन्हें राजस्व परिषद को भेजा जाएगा। राजस्व परिषद सूचनाओं को एकत्र कर 16 दिसंबर तक शासन को उपलब्ध कराएगा। उत्तराखंड में भूमि की अवैध और मनमाने ढंग से खरीद-बिक्री पर अंकुश लगाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का रवैया इस प्रकरण में बेहद कड़ा है।